जीशान कादरी पर अत्याचार? बकवास कहा था तो घर से हटाया गया?

शालिनी तिवारी
शालिनी तिवारी

बिग बॉस 19 का माहौल उस वक्त गरमा गया जब घर के सबसे स्ट्रॉन्ग और शार्प माइंड वाले खिलाड़ी जीशान कादरी को एविक्ट कर दिया गया। सवाल ये नहीं है कि जीशान क्यों निकाले गए, बल्कि ये है- क्या उन्हें इसलिए निकाला गया क्योंकि उन्होंने बिग बॉस को “बकवास शो” कह दिया था? और उसके बाद जो हुआ, वो किसी स्क्रिप्टेड थ्रिलर से कम नहीं

पलट गया पूरा खेल: बैकबेंचर ग्रुप बिखर गया

Backbencher Group यानी बिग बॉस 19 का वो यूनियन जो जीशान ने जोड़कर रखा था — अब पूरी तरह हिल चुका है।

  • नीलम गिरी और तान्या मित्तल पहले ही किनारा कर चुकी हैं

  • बसीर अली साइलेंट मोड में हैं

  • अमाल मलिक और शहबाज बदेशा नई अलायंस बनाने की तैयारी में हैं

क्या ये एविक्शन प्लान किया गया था ताकि इस गठबंधन को तोड़ा जा सके?

बिग बॉस का ‘फेयर’ या ‘स्क्रिप्टेड’ चेहरा?

अगर हम देखें तो:

  • कम पॉपुलर लेकिन कम विवादित कंटेस्टेंट्स जैसे प्रणित मोरे या अशनूर कौर शो में अभी भी टिके हुए हैं

  • जबकि जीशान जैसा ड्रामा क्रिएटर और कैमरा-पुलर बाहर कर दिया गया?

तो क्या ये फैसला इमेज क्लीन करने वाला था? या फिर वाकई एक बड़ा खिलाड़ी ‘राजनीति’ का शिकार बन गया? “जो सच बोलेगा, वो शो से निकाला जाएगा — ये नया नियम है क्या?”

जीशान का विवादित बयान: बिग बॉस बकवास है? 

बस, यहीं से शुरू हो गई थी गिरावट। जिस कंटेस्टेंट ने शो की पोल खोली, वो अब बाहर है। और जो “बोलता कम, चलता ज्यादा है”, वो अब विनर बनने की रेस में बना हुआ है।

नॉमिनेटेड लिस्ट पर एक नज़र

इस हफ्ते नॉमिनेटेड थे:

  • जीशान कादरी

  • बसीर अली

  • मृदुल अली

  • नीलम गिरी

  • अशनूर कौर

  • प्रणित मोरे

लग रहा था कि नीलम या प्रणित बाहर होंगे, लेकिन जीशान का पत्ता कट गया। क्यों? क्योंकि उन्होंने शो को आइना दिखाया था?

सलमान खान का ‘वीकेंड का वार’: कड़वा सच या स्क्रिप्टेड भाषण?

वीकेंड का वार में सलमान खान ने कहा:

“घर में अनुशासन जरूरी है, और हर शब्द की एक कीमत होती है।”

लेकिन सवाल ये है —
“क्या ये घर का नियम है या चैनल की ब्रांड इमेज को बचाने की जद्दोजहद?”

बिग बॉस में बोलने की आज़ादी है, लेकिन अगर आप शो को “बकवास” कहें, तो आपकी “एंट्री” से बड़ी “एग्ज़िट” प्लान हो चुकी होती है!

क्या जीशान को निकाला गया या निकाला गया दिखाया गया?

बिग बॉस जैसे शो में एविक्शन एक सामान्य बात है, लेकिन जब उसमें किसी बयान का साया आ जाए, तो बात सिर्फ कंटेस्टेंट तक नहीं रुकती — वो शो की इमेज, फेयरनेस और नैरेटिव कंट्रोल तक चली जाती है।

इसलिए यह सवाल उठता है:

“क्या रियलिटी शो अब सिर्फ रेटिंग शो बनकर रह गए हैं?”

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